भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा में दिनांक 3 फरवरी, 2023 को कृषक जागरूकता कार्यशाला का समापन

भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा के प्रयोगात्मक प्रक्षेत्र, हवालबाग में आज दिनांक 3 फरवरी, 2023 को जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के प्रति संवेदीकरण विषय पर दो दिवसीय ‘कृषक जागरूकता कार्यशाला‘ का समापन किया गया। इस अवसर पर कदन्न फसलेः भविष्य का भोजन विषय पर कृषक गोष्ठी एवं प्रदर्शनी का आयोजन किया गया।  प्रदर्शनी का उद्घाटन करते हुए मुख्य अतिथि डाॅ एम. मधु, निदेशक, भाकृअनुप- भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की समस्या से निपटने में  कदन्न फसलों का एक बहुत बड़ा योगदान है। इनकी खेती के लिए बहुत ज्यादा मेहनत की आवश्यकता भी नही है। साथ ही इनकी पोषण क्षमता वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक है। इन फसलो के मूल्यवर्धक उत्पाद बनाकर कृषक अपनी आय में वृद्वि कर सकते है।  उन्होने कृषकों का एकीकृत कृषि प्रणाली अपनाने हेतु आह्वान किया तथा जलसंरक्षण पर बल दिया । कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डा आर.पी.सिंह ने कदन्न फसलों को पर्वतीय क्षेत्रों की दशा बदलने का एक सशक्त माध्यम बताया। मुख्य कृषि अधिकारी श्री डी.कुमार ने अपने कथन में कहा कि पर्वतीय क्षेत्रों में विपणन एक समस्या है। इस समस्या के समाधान हेतु कदन्न फसलों के अधिक उत्पादन से कृषक अधिक लाभ अर्जित कर सकते हैं।  उन्होने कृषकों को कदन्न फसलों के मूल्य की जानकारी भी दी। इस अवसर पर संस्थान के निदेशक डाॅ लक्ष्मी कान्त ने अपने सम्बोधन में बताया कि आजादी के 75 वर्ष में कृषि क्षेत्र में इतनी अधिक प्रगति हुई है कि आज हमारा देश अन्न के भण्डार से भरा हुआ है। देश जहाँ एक ओर देश वासियों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर रहा है, वही दूसरी ओर अन्न निर्यात भी कर रहा है। उन्होंने कहा की बहुत सारी बीमारियाँ पोषण की कमी के कारण होती है। अतः पोषण सुरक्षा हेतु मोटे अनाजो का उत्पादन एवं उन्हे दैनिक भोजन में शामिल करना चाहिए। उन्होेंने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों एवं उनके निराकरण हेतु विकसित प्रजातियों एवं तकनीकियों की जानकारी दी।

अन्तर्राष्ट्रीय कदन्न वर्ष 2023 को देखते हुए उन्होंने कदन्न फसलों की विशेषताओं एवं संस्थान द्वारा इन फसलों की विकसित प्रजातियों से सभी आगन्तुकों को अवगत कराया तथा इनके मूल्यवर्धन  द्वारा आयवृद्वि की जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डाॅ बृज मोहन पाण्डे ने किया तथा धन्यवाद् प्रस्ताव प्रधान वैज्ञानिक डा0 निर्मल कुमार हेडाऊ ने ज्ञापित किया। इस  कार्यशाला में अल्मोड़ा, नैनीताल, बागेश्वर तथा चमोली जिले के 150 कृषकों एवं 100 विद्यार्थियों ने भागीदारी की। दो दिवसीय इस कार्यशाला में तीन सत्रों नामतः जलवायु परिवर्तन में फसल प्रबन्धन, कदन्न फसलें-भविष्य का भोजन एवं सामुदायिक विकास योजनाओं से आयवृद्वि के अन्तर्गत सात व्याख्यान यथा पर्वतीय फसलों में एकीकृत कीट प्रबन्धन, पर्वतीय क्षेत्रों में बेमौसमी सब्जी उत्पादन, फसलोत्पादन में सूक्ष्म जीवों का महत्व, पर्वतीय क्षेत्रों में कदन्न फसलों की वैज्ञानिक खेती, कदन्न फसलों के पौष्टिक उत्पाद, वित्तीय एवं डिजिटल साक्षरता तथा संगठन में महिला सशक्तिकरण में दिये गये। कृषकों ने इस कार्यशाला के दौरान संस्थान द्वारा दिये जा रहे सहयोग की सराहना की।